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19th April 2015

बेरोज़गार युवाओं के लिए वरदान साबित हो रही है कौशल विकास योजना

हिमाचल प्रदेश में बड़ी संख्या में शिक्षित युवा हैं और प्रदेश सरकार इस प्रचूर मानव संसाधन का समुचित दोहन करने के लिए प्रयासरत है। युवाओं को उद्योगों और सेवा क्षेत्र की मांग व आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षित किया जा रहा है। युवाओं का कौशन उन्नय कर उनके रोज़गार की सम्भावनाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से प्रदेशभर में सरकारी तथा गैर सरकारी क्षेत्र में कौशल उन्नयन संस्थान स्थापित करने पर बल दिया जा रहा है। प्रदेश में शिक्षित युवाओं के कौशल विकास के लिए प्रदेश सरकार ने 500 करोड़ रुपये की कौशल विकास भत्ता योजना आरंभ की है। इस योजना के अंतर्गत युवाओं को कौशल उन्नयन के लिए प्रतिमाह 1000 रुपये का कौशल विकास भत्ता प्रदान किया जा रहा है। विशेष रूप से सक्षम युवाओं को प्रतिमाह 1500 रुपये कौशल विकास भत्ता दिया जा रहा है। आज की तारीख तक प्रदेश के 70 हजार युवा इस योजना से लाभान्वित हुए हैं। अधिक से अधिक युवाओं को इस योजना के अन्तर्गत लाने के लिए योजना के नियमों को और अधिक लचीला बनाया जा रहा है। अब 8वीं पास हिमाचली युवा जिनकी आयु 16 वर्ष से अधिक और 36 वर्ष से कम है, वे योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र हैं। रोज़गार कार्यालय में कम से कम दो वर्षों के लिए पंजीकरण की शर्त को भी हटा लिया गया है। इसके अलावा राजगीरी, सुनार, बढ़ईगीरी के प्रशिक्षण के लिए न्यूनतम शैक्षणिक अहर्ता को हटाया दिया गया है। प्रदेश सरकार ने अब बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम को भी कौशल विकास भत्ता योजना के अन्तर्गत लाने का निर्णय लिया है। सरकार के इस कदम से प्रदेश में विभिन्न सरकारी एवं निजी नर्सिंग संस्थानों में बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई कर रही हजारों छात्राएं लाभान्वित होंगी। अधिकतर कौशल विकास पाठ्यक्रम तीन महिने से दो वर्ष तक की अवधि में पूरे किए जा सकते हैं। यह कौशल विकास भत्ता उन बेरोजगार युवाओं को प्रदान किया जाता है, जिनकी वार्षिक घरेलू आय दो लाख रुपये से कम हो। बेरोजगार युवाओं द्वारा अपनी पसन्द के रोजगार की चाह वाले क्षेत्र के लिए आवश्यक कुशलता प्राप्त करने के लिए इस भत्ते का उपयोग किया जाता है। कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरान्त यदि युवा स्वरोजगार अपनाना चाहते हैं तो वे ऋण के लिए बैंकों अथवा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग निगमों में आवेदन कर सकते हैं। प्रदेश सरकार 1.50 लाख तक की लागत परियोजना पर आगामी पांच वर्षों के लिए ब्याज दर में चार प्रतिशत की छूट प्रदान की जा रही है। प्रदेश की 90 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, इसलिए ग्रामीण युवाओं के कौशल उन्नयन पर विशेष बल दिया जा रहा है। बीपीएल श्रेणी से संबंधित 8 हजार ग्रामीण युवाओं और 5 हजार शहरी क्षेत्र के युवाओं को वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत लाया जाएगा। प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित बना रही है कि राज्य में स्थापित की जा रही सभी औद्योगिक, ऊर्जा और पर्यटन इकाईयों में हिमाचलियों को कम से कम 70 प्रतिशत रोजगार उपलब्ध हो। वर्तमान प्रदेश सरकार प्रदेश में औद्योगिक विकास की गति को और तीव्र करने के साथ-साथ प्रदेश के युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। उद्यमियों को विशेष प्रोत्साहन के तौर पर नई औद्योगिक इकाईयों में 300 से अधिक हिमाचलियों को रोजगार उपलब्ध करवाने वाली इकाईयों से पांच वर्षों के लिए मात्र एक प्रतिशत विद्युत डियूटी वसूली जाएगी। प्रदेश की अधिकतर कौशल विकास योजनाओं के नियोजन, समन्वय और क्रियान्वयन के लिए प्रदेश सरकार ने राज्य में हिमाचल प्रदेश राज्य कौशल विकास निगम स्थापित करने के लिए बजट का प्रावधान किया है। प्रदेश सरकार युवाओं के कौशल उन्नयन के लिए सार्वजनिक निजी सहभागिता को भी बड़े स्तर पर प्रोत्साहित कर रही है। प्रदेश सरकार का बेरोजगार युवाओं को गुणात्मक एवं प्रमाणिकृत कौशल उपलब्ध करवाकर उनके लिए रोजगार सुनिश्चित बनाने के लिए एशियन विकास बैंक से भी सहायता प्राप्त करने का प्रस्ताव है। यह परियोजना पांच वर्षों की अवधि के लिए क्रियान्वित की जाएगी, जिस दौरान प्रदेश के एक लाख बेरोजगार युवाओं का कौशल विकास किया जाएगा। विद्यार्थियों के कौशल में बढ़ौतरी और उनके लिए रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से गत वित्त वर्ष से 9वीं से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई में आॅटोमोबाईलस, रिटेल, सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, पर्यटन और कृषि जैसी व्यावसायिक शिक्षा को आरम्भ किया गया है। वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान यह व्यावसायिक शिक्षा 100 और राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में आरम्भ की जाएगी। प्रदेश सरकार राज्य में कौशल विश्वविद्यालय खालने के लिए प्रतिष्ठित संगठनों को आमंत्रित करने पर भी विचार कर रही है। प्रदेश सरकार का उद्देश्य बाजार की मांग के अनुरूप एवं तेजी से बदलते आर्थिकी की चुनौतियों से निपटने के लिए कुशल कार्यशक्ति उपलब्ध करवा कर शिक्षा में गुणात्मक सुधार एवं समेकन, पर्यटन में प्राकृतिक लाभ का उपयोग और समाज के कमजोर वर्गों का सामाजिक आर्थिक उत्थान है।

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