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29th July 2018

जैव नियंत्रण प्रयोगशाला में रोग कीटकारी सूत्रकृमि किए जा रहे हैं तैयार

फसलों को कीटों से बचाने के लिये राज्य सरकार ने प्रभावी कदम उठाते हुए फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को नष्ट करने वाले सूत्रकृमि तैयार किए जा रहे हैं। किसान-व बागवान यदि इन कीटों को अपनी खड़ी फसलों अथवा बागानों में डालते हैं तो जहां एक ओर कीटों की समस्या समाप्त हो जाएगी, वहीं दूसरी ओर फसलों में नुकसानदायी कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा।
 
राज्य उद्यान विभाग के एक प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि शिमला के रझाणा स्थित जैव नियंत्रण प्रयोगशाला में प्रतिदिन लाखों की संख्या में किसान मित्र रोग कीटकारी सूत्रकृमि तैयार किए जा रहे है। ये सूत्रकृमि राष्ट्रीय वनस्पति स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान हैदराबाद से लाए गए हैं और प्रदेश में इन्हें लाखां की संख्या में तैयार करके किसानों व बागवानों को उपलब्ध करवाया जा रहा है।
 
सूत्रकृमि भूमि में मौजूद फसलों के लिए हानिकारक कीटों जैसे जड़ छेदक, कटवा कीड़ा, दीमक, सफेद ग्रब्ज एवं अन्य कीटों की रोकथाम करने में सक्षम है। यह एक पारदर्शी सूत्रकृमि है, जो कीटों के भीतर प्रवेश कर एवं बैकटीरिया (च्ीवजवतींइकने इंबपससप) की सहायता से रोग पैदा कर कीट के आकार के हिसाब से उसे 24-48 घण्टे के भीतर मार देता है। कीट की मृत्यु उपरान्त यह सूत्रकृमि कीट के शरीर में मौजूद द्रव्य का उपयोग करते हुए अपनी वंश वृद्धि करता है, जो 8-12 दिनों में पूरी हो जाती है। यह वृद्धि इतनी तीव्रगति से होती है कि एक पूर्ण विकसित जड़ छेदक कीट के भीतर इनकी संख्या 40 से 50 हज़ार तक हो सकती है। ये सूत्रकृमि भूमि में फैलकर लगभग छः माह तक भूमि में जीवित रह सकते हैं।
 
ये सूत्रकृमि किसी भी कार्य दिवस पर प्रयोगशाला में आकर निःशुल्क प्राप्त किया जा सकते हैं, जिन्हें वे प्रभावित खेत या बगीचे में स्प्रे या अन्य किसी माध्यम से उपयोग किया जा सकता हैं।
 
उन्होंने कहा कि इन सूत्रकृमियों के सफल उपयोग हेतु भूमि में नमी का होना आवश्यक है, ताकि सूत्रकृमि सुगमता से भूमि में उपलब्ध शत्रु कीटों तक पहुंच सकें। उन्होंने बताया कि इन सूत्रकृमियों के सफल उपयोग के लिए बरसात का मौसम अति उत्तम है। किसानों व बागवानों से अपील की गई है कि वे सूत्रकृमि को अपनी फसलों में डालें और इन्हें शिमला के रझाणा से प्राप्त करें। इस संबंध में संबंधित बागवानी विकास अधिकारी अथवा बागवानी विभाग के किसी भी अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है।
 
 
 
                   
 
 
 

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