प्रदेश सरकार विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों के कल्याण के प्रति संवेदनश्ील है और उनका सामाजिक-आर्थिक उत्थान सुनिश्चित बनाने के लिये अनेक योजनाएं कार्यान्वित की जा रही है। ये व्यक्ति समाज का अभिन्न हिस्सा हैं और उनका सामाजिक व आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।
योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये क्या है पात्रता
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा. राजीव सैजल ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये व्यक्ति की विकलांगता का प्रमाण होना अनिवार्य है। इस आश्य का प्रमाण पत्र जिला चिकित्सा बोर्ड द्वारा 40 प्रतिशत या इससे अधिक की विकलांगता होने पर प्रदान किया जाता है और इसके लिये जिला अस्पतालों में सप्ताह में दो दिन निर्धारित किए गए हैं और इसके अलावा राज्य के विभिन्न भागों में विशेष विकलांगता शिविरों के दौरान भी ऐसे व्यक्तियों की पहचान की जाती है। जिला कल्याण अधिकारी के माध्यम से कम्पयूट्रीकृत विकलांगता पहचान पत्र जारी किये जा रहे हैं जिसके आधार पर विकलांग व्यक्ति राज्य/भारत सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ उठा सकते है। इस वर्ष मार्च माह तक कुल 89327 विकलांगता पहचान पत्र जारी किए गये हैं।
विशेष रूप से सक्षम बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रोत्साहित करने व वितीय सहायता प्रदान करने के उददेश्य से 40 प्रतिशत अथवा अधिक की विकलांगता वाले छात्र-छात्राओं को को बिना किसी आय सीमा के 625 रुपये से लेकर 3750 रुपये मासिक छात्रावृति प्रदान की जा रही है। वर्ष 2017-18 के दौरान 65 लाख रुपये व्यय कर 692 विद्यार्थियों को विभिन्न छात्रवृतियां प्रदान की गई।
इन व्यक्तियों को आर्थिक तौर पर संबल बनाने के लिये स्वरोजगार सहायता योजना आरंभ की गई है। योजना के अंतर्गत दिव्यांगजनों को लघु औद्योगिक इकाईयां जैसे चाय, दर्जी, छोटे वाहन, ब्यूटी पार्लर इत्यादि की दुकान के लिए अल्प-संख्यक वित्त एंव विकास निगम के माध्यम से ऋण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं जिस पर सामाजिक न्याय एंव अधिकारिता विभाग द्वारा 10000 रुपये अथवा परियोजना लागत का 20 प्रतिशत का उपदान उपलब्ध करवाया जा रहा है।
80 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांगता वाले व्यक्तियों को प्रतिमाह 1300 रुपये की दर से पेंशन प्रदान की जा रही है। इसके अतिरिक्त, 40 से 69 प्रतिशत तक की विकलांगता वाले व्यक्तियों जिनकी समस्त साधनां से वार्षिक आय 35000 रुपये से अधिक न हो, को 750 रुपये प्रतिमाह की दर से विकलांग राहत भत्ता दिया जा रहा है। मानसिक रूप से अविकसित व्यक्तियों को बिना किसी आय सीमा की शर्त के अपंग राहत भत्ता प्रदान किया जा रहा है।
डा. सैजल ने बताया कि विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिये उनका व्यवसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से कौशल विकास सुनिश्चित बनाया जा रहा है। चयनित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से विकलांगजनों को चयनित व्यवसायों मे निःशुल्क व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षणार्थी को 1000 रुपये प्रतिमाह की दर से छात्रावृति भी दी जा रही है।
विवाह अनुदान योजना के अन्तर्गत स्वेच्छा से विकलांग लड़के अथवा लड़की से विवाह करने पर प्रोत्साहन के रूप में 25,000 रुपये (विकलांगता प्रतिशतता 40 प्रतिशत से 74 प्रतिशत होने पर) व 50,000 रुपये (विकलांगता प्रतिशतता 75 प्रतिशत व अधिक होने पर) की राशि प्रदान की जा रही है।
मंत्री ने बताया कि विशेष योग्यता वाले बच्चों की शिक्षा पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है। मूक बधिर व दृष्टिहीन बच्चों को शिक्षा व व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये ढल्ली व सुन्दरनगर में दो संस्थान कार्यरत हैं। सुन्दरनगर में स्थापित संस्थान में 13 दृष्टिवाधित तथा 92 श्रवणदोष की लड़कियां दाखिल हैं। इसके अलावा 10 दृष्टिबाधित और 4 श्रवणदोष छात्राऐं सुन्दरनगर विशेष बच्चों हेतु आई.टी.आइ.0 में प्रशिक्षण ले रही हैं, जिनका रहन-सहन, शिक्षा, चिकित्सा का खर्चा सरकार वहन कर रही है। इसके अतिरिक्त विभाग, प्रेम आश्रम ऊना में 50 मानसिक रूप से अविकसित बच्चों की पढ़ाई, फीस व रहने आदि का खर्चा वहन कर रहा है। आस्था वैलफेयर सोसाईटी नाहन, पैराडाईज़ केयर सेन्टर चुवाड़ी, आदर्श ऐजुकेशन सोसाईटी कलाथ और उड़ान, रिसपाईट केयर सेन्टर न्यू शिमला तथा आशा किरण शिक्षा संस्थान घुमारवी जिला बिलासपुर में मानसिक रूप से अविकसित व्यस्क पुरूषों, मानसिक रूप से अविकसित पुरूष तथा महिलाओं, मानसिक रूप से अविकसित वयस्क महिलाओं, मानसिक रूप से अविकसित बच्चों को निःशुल्क रहन सहन भोजन तथा चिकित्सा हेतु 4500 रुपये प्रति आवासी की दर से वहन कर रही है।
हमीरपुर व धर्मशाला में दो विकलांगता पुनर्वास केन्द्र स्थापित हैं जो ग्रामीण विकास अभिकरण हमीरपुर व भारतीय रैडक्रास सोसाईटी धर्मशाला द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।