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17th June 2018

प्रदेश में अफीम की खेती के विरूद्ध व्यापक अभियान

हिमाचल प्रदेश विदेशी पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण का केन्द्र बन गया है। राज्य की समृद्ध संस्कृति, अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों तथा मनोहारी वातावरण के बावजूद पर्यटकों का व्यापक प्रवाह घातक नशीले पदार्थों की ओर आकर्षित होना चिंता का विषय है। बड़े पैमाने पर नए इलाके इस व्यसन तथा व्यवसाय का शिकार बन रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश में बढ़ते नशीले पदार्थों ने कुल्लू-मनाली, मण्डी और शिमला में बड़ी संख्या में युवाओं को अपनी चपेट में ले लिया है। नशे का अधिकांश व्यापार कुल्लू जिले में किए जाने की रिपोर्ट है जहां भारी संख्या में विशेषकर इज़रायल से सैलानी आते है और पुलिस के कड़े प्रयासों के बावजूद भी इस पर पूरी तरह से अंकुश लगने में शायद वक्त लगेगा। अधिक तथा जल्दी पैसा कमाने के प्रलोभन ने स्थानीय किसानों को गुप्त रूप से भांग की खेती के लिए प्रेरित किया है। हिमाचल प्रदेश में नारकोटिक ड्रग्ज़ एंड साइकोट्रॉपिक्स सबस्टांस (छक्च्ैद्ध) अधिनियम के तहत पंजीकृत मामलों की संख्या में पिछले दशक में तीन गुणा वृद्धि दर्ज हुई है।

पहाड़ी राज्य होने के नाते यहां बर्फ से ढके पहाड़, शुद्ध हवा व मनोहारी स्थल हमेशा से मैदानी शहरों के निवासियों के लिए एक पसंदीदा स्थान रहा है। सेना में अनिवार्य सेवा देने के बाद चिकित्सीय अनुभव के लिए कुल्लू जिले के कुछ इलाकों में बड़ी संख्या में इजरायली पर्यटक आते हैं और इन क्षेत्रों को नशे के कारोबार का केन्द्र बनाकर क्षेत्र की संवेदनशीलता को बढ़ाने का कारण बनते हैं।

राज्य के सभी जिलों में अफीम-पोस्त की खेती को समाप्त करने के लिये 15 अप्रैल, 2018 से एक व्यापक अभियान शुरू किया गया है, विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों में जहां नशीले पदार्थों की खेती की संभावना रहती है। अभियान के दौरान जून माह के अंत तक भांग की खेती नष्ट करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि आरंभ में ही खेती को नष्ट करके इसके व्यसन से लोगों को दूर रखा जा सके।

क्या है कार्य योजना

पुलिस महानिदेशक श्री सीता राम मरड़ी ने अभियान के दौरान किए जा रहे कार्यों की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि सभी राजस्व, वन अधिकारियों और पंचायती राज संस्थानों, शहरी स्थानीय निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधि एनडीईएस अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कर्तव्यबद्ध है की वे संबंधित क्षेत्रों में यदि भांग की अवैध खेती हो रही हो तो इसकी सूचना तुरंत पुलिस को देंगे। सूचना थाना प्रभारी और पुलिस अधीक्षक को लिखित रूप में भी देंगे। वन अधिकारी अपने क्षेत्राधिकार में यदि अवैध खेती हो रही हो तो पुलिस को सूचित करेंगे।

अवैध खेती का पता लगाने पर सभी हितधारक, पुलिस, नारकोटिक नियंत्रण ब्यूरो, एसएनसीबी, सीआईडी और वन, राजस्व, पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग व प्रवर्तन एजेंसियों को शामिल करके इस तरह की खेती को नष्ट करने के लिए एक संयुक्त अभियान शुरू किया जाएगा।

 

यह एजेंसियां 15 अगस्त, 2018 से पहले भांग व पोस्त की खेती नष्ट करने की प्रगति रिपोर्ट देगी। सभी पुलिस अधीक्षक अफीम तथा भांग की खेती को नष्ट करने के लिए महिला मण्डलों, युवक मण्डलों तथा अन्य गैर सरकारी संस्थाओं का सहयोग करेंगे।

कृषि एवं बागवानी तथा ग्रामीण विकास विभाग संयुक्त रूप से अफीम-पोस्त पैदा करने वाले क्षेत्रों के लोगों के लिए उपयुक्त वैकल्पिक नकदी फसलों को अपनाने का प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे।

नशीले पदार्थों के नुकसान बारे स्कूली बच्चों को जागरूक बनाना

नशीली दवाओं के दुरूपयोग से बचने के लिये छात्रों को संवदेनशील बनाया जाएगा और इसके लिए शिक्षा विभाग के नोडल प्रशिक्षण अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए मॉडयूल तैयार किया जाएगा। पीटीए और एसएमसी की बैठकों के दौरान छात्रों के माता-पिता को भी इस मुद्दे पर संवदेनशील बनाया जाएगा। नशीली दवाओं के दुरूपयोग पर शैक्षणिक संस्थानों में प्रत्येक सप्ताह में परामर्श सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं। यह भी जोर दिया गया है कि शैक्षणिक संस्थानों में और इनके आस-पास के क्षेत्रों में ऐसे छात्रों की पहचान करने के लिए अचानक छापे मारे जाएंगे, जो नशीली दवाओं के दुरूपयोग में शामिल हैं। इस तरह के परामर्श का मुख्य उद्देश्य छात्रों के माध्यम से दवाओं के दुरूपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करना है।

शैक्षणिक संस्थानों के आस-पास की सभी दुकानों, ढाबों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है तथा समय-समय पर इनका निरीक्षण भी किया जाएगा। जागरूक छात्र-छात्राएं शिक्षण  संस्थानों के आस-पास की संदिग्ध गतिविधियों के बारे में पुलिस को सूचित करेंगे।

सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग नशीली दवाओं के दुरूपयोग के दुष्प्रभावों पर नुक्कड़ नाटकों सहित विभिन्न कार्यकलापों के माध्यम से बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम चलाएगा। हालांकि, आईआरबी बनगढ़ ऊना की नुक्कड़ नाटक टीम पहले ही यह कार्य शुरू कर चुकी है।

स्वास्थ्य तथा शिक्षा विभाग,े सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के साथ मिलकर 104 हैल्पलाइन पर नशीली दवाओं के दुरूपयोग की प्रचार सामग्री साझा करेगा ताकि इसे आगे आम जन-मानस को उपलब्ध करवाकर उन्हें जागरूक बनाया जा सके।

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