ग्रामीण विकास में पंचायती राज संस्थानों के महत्व को स्वीकार करते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने पंचायती राज संस्थानों के सुदृढ़ीकरण के लिये अतिरिक्त प्राथमिकता प्रदान है और आज राज्य देश में आदर्श राज्य बनकर उभरा है। महिला सशक्तिकरण पर विशेष बल दिया गया है और राज्य में पहले ही उनके लिए 50 प्रतिशत आरक्षण को क्रियान्वित किया है। यह शुभ संकेत है कि इस पहाड़ी प्रदेश में 58 प्रतिशत पंचायती राज संस्थानों में महिलाएं प्रतिनिधित्व कर रही हैं,े जबकि अन्य राज्यों में इस वर्ग को अभी भी 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात हो रही है।
पंचायती राज प्रणाली को प्रभावी ढंग से कार्यान्वित करने के लिये सरकार ने इन संस्थानों में अधोसंरचनात्मक सुविधाएं, पर्याप्त स्टॉफ तथा नियमित प्रशिक्षण के अलावा ग्राम पंचायतों को कुशल तरीके से कार्य करने के लिये कंप्यूटर व इंटरनेट जैसी आधुनिक सुविधाएं प्रदान की है।
राज्य की समस्त ग्राम पंचायतों को कंप्यूटर हार्डवेयर प्रदान किए गए हैं। पंचायती राज विभाग ने समस्त पंचायती राज संस्थानों के कंप्यूट्रीकरण का कार्य पूर्ण कर लिया है, जिससे विभाग की कार्य प्रणाली में पारदर्शिता तथा जिम्मेवारी सुनिश्चित हुई है। विभाग ने पंचायती राज संस्थानों के लेखा और अभिलेखों की उपयुक्त देखभाल भी सुनिश्चित की है। लोगों को ग्राम पंचायतों के माध्यमों से विभिन्न प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए सरकार ने प्रत्येक ग्राम पंचायतों में पंचायत सहायकों की 400 रिक्त पद भरे हैं। राज्य सरकार ने पंचायत सहायकों के 200 और पद भरने का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त पंचायती राज संस्थानों में तृतीय तथा चतुर्थ श्रेणी की विभिन्न श्रेणियों के 33 पद सृजित किए हैं।
राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण अभियान के अन्तर्गत विभिन्न गतिविधियां को आयोजित करवाने के लिए 48.06 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। इसमें 226 पंचायत घरों के जीर्णोद्धार के लिए 7.42 करोड़ रुपये, नई पंचायत घरों के निर्माण के लिए 750 रुपये शामिल हैं।
राज्य सरकार ने शिमला के मशोबरा में राज्य पंचायत संसाधन केन्द्र के निर्माण के लिए 1.25 करोड़ रुपये, 13 खंड स्तरीय संसाधन केन्द्रों के निर्माण के लिए 1.56 करोड़ रुपये तथा मंडी, सोलन, हमीरपुर, शिमला, कांगड़ा, किन्नौर तथा बिलासपुर जिलों में जिला पंचायत संसाधन केन्द्र के निर्माण के लिए प्रत्येक को 2.50 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इसके अतिरिक्त पंचायती राज संस्थान बैजनाथ के विकास के लिए 50 लाख रुपये जारी किए गए हैं।
भारत सरकार की ई-पंचायत परियोजना के अन्तर्गत 11 प्रस्तावित सॉफटवेयर एप्लीकेशन में से 7 सॉफटवेयर एप्लीकेशनों को पंचायती राज संस्थानों में आरम्भ कर दिए हैं। इन एप्लीकेशनों के लिए पंचायतों/विभागों के अधिकारियों के प्रशिक्षण का आयोजन पंचायती राज संस्थान मशोबरा में किया जा रहा है। पंचायत राज संस्थानों में इन सॉफटवेयर एप्लीकेशनों पर कार्य आरम्भ हो चुका है। पंचायतों को आवारा पशुओं से मुक्त करने के लिए हर खंड में दो श्रेष्ठ पंचायतों को पुरस्कृत करने की योजना की अधिसूचना की गई है जिसमें श्रेष्ठ ग्राम पंचायतों को पुरस्कार राशि के लिए 7.80 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रो में महिलाओं के सशक्तिकरण विशेषकर महिलाओं व बच्चों से जुड़े मुददों तथा पंचायतों के समग्र विकास से सम्बन्धित मामलों पर चर्चा करने के लिए निर्णय लिया गया है कि हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम में प्रत्येक ग्राम सभा में दो महिला ग्राम सभाएं आयोजित करने का प्रावधान किया जाएगा, जिसके अन्तर्गत प्रत्येक वर्ष प्रथम सभा 8 मार्च तथा द्वितीय सभा सितम्बर महीने के प्रथम रविवार को आयेजित की जाएगी।
राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थानों के चयनित प्रतिनिधियों का मानदेय 1 जुलाई, 2017 से बढ़ाया गया है। पंचायत सहायकों का मानदेय 5910 रुपये से बढ़ाकर 7000 रुपये तथा सिलाई शिक्षक का मानदेय 2300 रुपये से बढ़ाकर 2600 रुपये प्रतिमाह किया गया है। इसके अतिरिक्त दो सहायक इंजिनियर, 172 जुनियर इंजिनियर, 12 जुनियर स्केल स्टेनोग्राफर, 1297 पंचायत सचिवों तथा 10 जुनियर एकाउंटेट को नियमित किया गया है।
ग्राम सभा बैठकों विभिन्न विभागों के अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित बनाने के तहत हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1994 में आवश्यक संशोधन किए गए हैं। संशोधन के अनुसार ग्राम सभा बैठकें जनवरी, अप्रैल, जुलाई तथा अक्तूबर माह में इस ढंग से आयोजित की जाएंगी ताकि इन महिनों में जिले की सभी पंचायतों में सभाएं सुनिश्चित हो सकें। कार्यसंख्या (कोरम) पूरी न होने के कारण पंचायतों के विकास में कमी न आए इसलिए ग्राम सभा की साधारण बैठक की कार्यसंख्या को एक तिहाई से घटाकर एक चौथाई किया गया है।