हिमाचल प्रदेश सरकार ने बागवानी क्षेत्र में उत्पादकता व गुणवत्ता बढ़ाने तथा मण्डी कार्य-नीति में बदलाव लाने के उद्देश्य से विश्व बैंक की सहायता से 1134 करोड़ रुपये की महत्वकांक्षी बागवानी विकास योजना को लागू करने की पहल की है। यह परियोजना विश्व बैंक और राज्य सरकार द्वारा क्रमशः 80 अनुपात 20 में कार्यान्वित की जा रही है।
हिमाचल प्रदेश को पहले ही देश के फल राज्य के रूप में जाना जाता है। राज्य के लोगों की खुशहाली तथा सकल घरेलू उत्पाद में फलोत्पादन का महत्वपूर्ण योगदान है। राज्य सरकार ने बागवानी विकास के लिए सूक्ष्म एवं अति सूक्ष्म योजनाएं बनाई हैं।
हिमाचल प्रदेश बागवानी के क्षेत्र में पहाड़ी राज्यों में मॉडल राज्य के रूप में जाना जाता है। कठिन भोगौलिक परिस्थितियों के बावजूद भी प्रदेश के बागवान, बागवानी को एक मुख्य व्यावसाय के रूप में अपना रहे हैं, और यह व्यावसाय अब ग्रामीण क्षेत्रों की आय का साधन बन चुका है। यही कारण है कि इस छोटे से राज्य में लोगों को फल, पुष्प और सब्जी उत्पादन से लगभग 7600 करोड़ रुपये की सालाना आय हो रही है।
यहां पर यह बताना उचित होगा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में आयातित फलों के कारण सेब को भीषण मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या के निदान हेतु हमारी सरकार फलों की पैदावार व गुणवत्ता बढ़ाने के लिये विश्व बैंक द्वारा पोषित बागवानी विकास परियोजना को क्रियान्वित कर रही है ताकि बागवानों की उत्पादकता तथा फलों की गुणवत्ता को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया जा सके और प्रतिस्पर्धा का मुकावला किया जा सके।
इस परियोजना के अंतर्गत प्रदेश के समस्त जिलों के क्षेत्रों में फलों के उत्पादन की संभावना को देखते हुए पानी उपलब्ध क्षेत्रों में चिन्हित कलस्टरों में सेब व अन्य फलों के क्नोनल रुट स्टॉक पर आधारित उच्च धनत्व बागानों की स्थापना कर फलों के उत्पादन तथा गुणवत्ता दोनों में बढ़ौत्तरी सुनिश्चित बनाई जाएगी।
परियोजना के अंतर्गत समस्त कार्य चिन्हित क्लस्टरों में कार्यान्वित किए जायेंगे, जिसमें मुख्यतः सिंचाई सुविधा प्रदान करने हेतु वर्षा के पानी व अन्य स्त्रोतों से प्राप्त जल का उचित दोहन करके सामुदायिक टैंको का निर्माण किया जाएगा ताकि बागवानों द्वारा उच्च घनत्व पौधारोपण ;ीपही कमदपेपजल चसंदजंजपवदद्ध पर स्थापित बागीचों को उचित सिंचाई सुविधा प्रदान की जा सके।
राज्य में बागवानी उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये परियोजना में सामुदायिक सिंचाई सुविधाएं विकसित करने का विशेष प्रावधान किया गया है। इस घटक के अंतर्गत लगभग 19560 हेक्टेयर भूमि को परियोजना में शामिल किया जाएगा तथा गर्मियों व पौधों की प्रारम्भिक अवस्था के दौरान पानी की भी उपलब्धता सुनिश्चित बनाई जाएगी।
इसके साथ एचपीएमसी तथा बागवानी विभाग की विधायन इकाईयों को अपग्रेड कर इनका आधुनिकीकरण भी किया जाएगा। प्रदेश में फलों व सब्जियांं के विपणन की व्यवस्था को मजबूत करने हेतु परियोजना के अंतर्गत 16 स्थानों पर स्थापित कृषि उपज मण्डियों को स्तरोन्नत करके आधुनिक तकनीकयुक्त किया जाएगा तथा प्रदेश के दो अन्य स्थानों पर नई आधुनिक मण्डियों की भी स्थापना की जाएगी ताकि बागवानों को फलों व सब्जियों के विपणन की उचित सुविधा प्राप्त कर उत्पाद के उचित मूल्य प्राप्त हो सके।
किसानों व बागवानों को अत्याधुनिक मण्डियों के माध्यम से बाहरी मण्डियों में उनके उत्पादों के बाजिब दाम उपलब्ध होंगे। निश्चित तौर पर बागवानी विकास योजना आने वाले समय में बागवानी क्षेत्र की दशा व दिशा में एक सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक सिद्ध होगी।