सड़क दुर्घटनाओं के कई पहलु हैं जिनमें पैदल यात्री सुरक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। तीव्र गति, जल्दबाजी, कमजोर सड़क उपयोगकर्ता तथा असुरक्षित वाहन जैसे कारक पहाड़ी सर्पीली व तंग सड़कों पर उच्च मृत्यु दर का कारण बनते हैं। सड़क सुरक्षा नियमों के बारे में अनुशासनहीनता लगभग सभी जगहों पर देखने को मिलती है। अधिकांश वाहन चालकों द्वारा यातायात कानूनों का उल्लंघन सबसे बड़ी चिंता का विषय है।
सड़क सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार गंभीर है और यात्रियों को सुरक्षित, विश्वसनीय और आरामदायी परिवहन सुविधा सुनिश्चित बनाने के लिये कई कदम उठाए गए हैं। सड़क सुरक्षा में पैदल यात्रियों से लेकर दो-पहिया वाहनों सहित सभी प्रकार के यातायात वाहनों की आवाजाही से जुड़े विभिन्न पहलूओं को ध्यान में रखा गया है।
राज्य सरकार ने 26 दिसम्बर, 2016 को सड़क सुरक्षा नीति को अधिसूचित किया है। परिवहन मंत्री की अध्यक्षता में राज्य परिवहन विकास और सड़क सरुक्षा परिषद का गठन किया गया है।
हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है जहां सड़क दुर्घटना डाटा प्रबंधन प्रणाली की शुरूआत की गई है जिसके अंतर्गत दुर्घटना के आंकड़ों का विश्लेषण वैज्ञानिक रूप से सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया जा रहा है। डाटा के आधार पर दुर्घटनाओं तथा मौतों में कमी लाने के लिये उपचारात्क कार्रवाई की जा रही है। यह प्रणाली राज्य में बेहतर ढंग से कार्य कर रही है। क्षेत्रीय अधिकारियों से डाटा एकत्र करने के उद्देश्य से सभी पुलिस स्टेशनों तथा पुलिस चौकियों में 238 टैबलेट वितरित किए गए हैं, जो दुघर्टना डाटा रिकॉर्डिंग, संग्रहण, विश्लेषण व प्रसार के लिये जीआईएस कंप्यूट्रिकृत सॉफ्टवेयर प्रणाली है। दुर्घटनाओं व मौतों के कारकोंं का पता लगाने के लिये वर्ष 2017-18 से 2019-20 के लिये एक अल्प-कालीन तथा सात वर्षों के लिये एक लंबी अवधि की रण-नीति तैयार की गई है।
राज्य में परिवहन विभाग को कंपाउडिंग शुल्क से पर्याप्त राशि मिल रही है। इसके अलावा राज्य सरकार ने सड़क सुरक्षा उपायों के लिये लोक निर्माण, पुलिस तथा परिवहन विभागों को 53 करोड़ रुपये की राशि सीधे तौर पर आवंटित की है। सरकार ने इस वित्तीय वर्ष से हि.प्र. परिवहन अधोसंरचना निधि को भी क्रियाशील बनाया है। लोक निर्माण विभाग ने पहले ही व्यवस्था की है कि जो सड़क परियोजनाएं 10 करोड़ रुपये की लागत अथवा इससे अधिक की होंगी, की विस्तृत परियोजना लागत का 0.25 फीसदी सड़क सुरक्षा उपायों के लिये खर्च किया जाएगा और सड़क सुरक्षा की लेखा परीक्षा तीसरे पक्ष द्वारा की जाएगी। राज्य में केरल की तरजीह पर सड़क सुरक्षा अध्यादेश को लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
सड़क पर ‘ब्लैक स्पॉट’ भी दुर्घटनाओं को न्यौता देते हैं। राज्यभर में लगभग 300 बल्ैक स्पॉट की पहचान कर इनमें से अधिकांश को हटा दिया गया है और 90 ऐसे ब्लैक स्पॉट हैं जिन पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है और परिवहन मंत्री ने लोक निर्माण विभाग को इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी कर दिए हैं। दुर्घटनाओं से बचने के लिये सड़क इंजीनियरिंग सबसे महत्वपूर्ण है। राजमार्ग इंजीनियरों को प्रशिक्षण के लिये चुना गया है और ये इंजीनियर प्रशिक्षित होकर अन्य इंजीनियर्ज को भी प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।
सड़क सुरक्षा के प्रभावी कार्यान्वयन में पुलिस की अह्म भूमिका है। पुलिस अनुसंधान और गृह मंत्रालय के विकास मंत्रालय ने यातायात पुलिस के लिये नियम तैयार किए हैं और पुलिस को आवश्यक उपकरण भी प्रदान किए गए हैं। दुर्घटनाओं के लिये संवेदनशील जंक्शनों व सड़कों पर गति सीमित करने के उपकरण स्थापित किए गए हैं। जिला दण्डाधिकारियों को इन उपकरणों की स्थापना के लिये आवश्यक धनराशि प्रदान की जा रही है। इसके अलावा लोक निर्माण विभाग भी नई सड़कों के निर्माण के दौरान तथा चिन्हित ब्लैक स्पॉट्स पर ऐसे उपकरण लगाने में सहयोग कर रहा है।
परिवहन मंत्री जी.एस. बाली के अनुसार सड़क सुरक्षा नियमों के बारे में जागरूकता को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की जा रही है। प्रदेश भर के सभी स्कूलों में विद्यार्थियों को सड़क सुरक्षा निमयों की जानकारी प्रदान करने के लिये विशेष अभियान चलाया जा रहा है। आम जनमानस को इन नियमों बारे जागरूक बनाने के उद्देश्य से आगामी अगस्त माह के दूसरे सप्ताह में कांगड़ा जिले के नगरोटा से टांडा तक 30000 लोगों की एक विशाल रैली का आयोजन किया जा रहा है। इसमें 20000 महिलाएं व 10000 पुरूष शामिल होंगे। सड़क सुरक्षा पर क्लिपिंग तैयार करने के लिये परिवहन विभाग ने एक उपयुक्त एजेन्सी की सेवाएं लेने की तैयारी कर ली है और इस क्लिपिंग को राज्य के सभी सिनेमा घरों में दिखाया जाएगा ताकि लोग सड़क नियमों के बारे में जान सके।
राज्य में यातायात कानूनों का सख्त कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा रहा है। कानून का उल्लंघन करने पर जुर्माना व सजा दोनों को बढ़ाया गया है। तेज गति वाहनों के साथ-साथ दो पहिया वाहनों में तीन सवारियां बिठाने व बिना हैलमेट पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। पिछले तीन महीनों के दौरान यातायात नियमों को तोड़ने पर 1104 ड्राईविंग लाईसेन्स निलंबित किए गए है। राज्य सरकार ने यातायात में किसी भी प्रकार के अवरोध से बचने के लिये सड़कों के किनारे खड़े नकारा वाहनों तथा कबाड़ियों द्वारा एकत्र कबाड़ को हटाने के लिये 15 दिनों की समय सीमा निर्धारित की है और इस संबंध में पुलिस विभाग को आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है। सड़कों पर आवश्यक संकेत लगाने के भी आदेश जारी किए गए हैं।
राज्य में सड़कों पर बड़ी संख्या में पैदल चलने वालों की सुरक्षा के दृष्टिगत यातायात कानूनों का पालन करना अनिवार्य है और यातायात नियमों की पालना को लेकर मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है ताकि सड़कों पर दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके।