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2nd July 2017

समर्थः स्कूलों में सर्वोत्तम व्यवस्था सांझा करने के लिये एक प्रभावी तंत्र

राज्य सरकार ने स्कूलों में समस्याओं एवं चुनौतियों को शीघ्र जानने तथा तत्पश्चात इनका क्रियान्यवन समाधान करने के उद्देश्य से एक व्यवस्थित राज्यव्यापी परिवर्तन के रूप में  एक मजबूत समीक्षा एवं निगरानी तंत्र ‘समर्थ’ को संस्थागत करने का निर्णय लिया है। 
समीक्षा निगरानी तंत्र शिक्षक और ब्लॉक अधिकारी से लेकर प्रधान सचिव शिक्षा तक सरकार में सभी हितधारकों के साथ शिक्षा में सर्वोत्तम अभ्यासों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। राज्य सरकार 5000 से अधिक स्कूलों में 11000 कक्षाओं का दौरा कर 2.91 लाख विद्यार्थियों की समीक्षा कर पाई है। प्रत्येक स्कूल के दौरे में समीक्षा अधिकारी विद्यालय का पांच श्रेणियों में स्पष्ट रूप से परिभाषित मानदंडों पर मूलयांकन करता है, जिनमें स्कूल में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं, कक्षा अवलोकन, स्कूल प्रबंधन, आकलन परिणाम तथा निधि की उपयोगिता शामिल हैं। 
यह राज्य सरकार की पहल के कारण ही संभव हो पाया है, जिसमें मौजूदा लंबी और बोझिल शिक्षा प्रणाली को दो पृष्ठ के एक बडे़ ओएमआर फार्म के साथ तबदील किया गया है। पूर्व की प्रणाली के विपरीत ओएमआर फॉर्म तुरंत डिजिटलीकरण की अनुमति देता है। इसके परिणामस्वरूप पहले महीने में स्कूल के दौरे के पश्चात राज्य व जिला स्तर पर डिजिटाईज्ड जानकारी पर आधारित बैठकें की गईं। बैठकों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले स्कूलों के साथ-साथ समस्याओं का भी पता लगाया जा रहा है। इस दौरान केवल कमियों व समस्याओं के बजाए उनके समाधान तथा क्रियान्वयन पर विचार-विमर्श किया गया। राज्य की समीक्षा बैठकों में लिए गए निर्णयों की विस्तृत कार्यवाही का बिंदु टै्रकर के माध्यम से पता लगाया जाता है ताकि समीक्षाएं केवल कागजी अभ्यास तक सीमित न रहकर जमीनी स्तर पर गुणात्मक सुधार को सुनिश्चित बनाया जा सके। इसके अलावा प्रत्येक जिले को एक पत्र जारी किया गया जिसमें विभिन्न मामलों में सुधार की गुंजाईश वाले स्कूलों की सूची शामिल है। इसके साथ ही स्कूलों को सीधे तौर पर फोन में वॉयस कॉल के माध्यम से सूचित किया गया।
 खण्ड प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारियों (बी.ई.ई.ओ. तथा बी.आर.सी.सी.) तथा जिला शिक्षा अधिकारियों (उप-निदेशक-प्रारम्भिक शिक्षा, जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं प्रधानाचार्य डाईट) व राज्य स्तर के अधिकारियों द्वारा ओ.एम.आर. फार्म पर स्कूलों की समीक्षा की जा रही है। ये अधिकारी इन फार्मों को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सर्वशिक्षा अभियान के विशेष कार्यक्रम अधिकारी के पास प्रस्तुत करते हैं जहां फार्मो की डिजिटाईज्ड प्रक्रिया पूर्ण कर डाटा का विश्लेषण किया जाता है। इसके पश्चात, राज्य स्तर पर प्रारम्भिक शिक्षा या सीपीडी एसएसए/आर.एम.एस.ए. के निदेशक की अध्यक्षता में तथा जिला स्तर पर प्रारम्भिक शिक्षा के उप-निदेशक अथवा जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं प्रधानाचार्य डाईट की अध्यक्षता में बैठकों का आयोजन किया जा रहा है। इस व्यवस्था से प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में अपार बदलाव आया है तथा प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ राज्य आंका गया है। 
इस वर्ष राज्य सरकार ने प्रदेश भर में स्कूली छात्रों को समय पर निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें वितरित करने का महत्वकांक्षी अभियान आरम्भ किया है ताकि पाठ््य पुस्तकों के अभाव में शिक्षण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव की समस्या से निजात पाई जा सके। यह अभियान एक उत्कृष्ट व सफल साबित हुआ है। फरवरी तथा अप्रैल, 2017 के शैक्षणिक सत्र के आरम्भ होने से पहले 15 हजार स्कूलों के 6 लाख पात्र छात्रों को 55 लाख पाठ्य पुस्तकें वितरित की गई। प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों, कठिन भौगोलिक परिस्थितियों व दो विभिन्न शैक्षणिक सत्रों के बावजूद हिमाचल प्रदेश इस उपलब्धि को हासिल करने वाला देशक का प्रथम राज्य बन गया है। 
शिक्षा विभाग व्यवस्था में तेजी, प्रभावी प्रशासन, पारदर्शिता तथा निष्पक्षता लाने के लिए तकनीकी उपायों का समुचित उपयोग कर रहा है। छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग से जुड़े मुद्रक, डिपो, खण्ड अधिकारी तथा शिक्षकों सहित विभिन्न हितधारकों के लिए समान लक्ष्य के तहत इस व्यवस्था को प्रदेश में प्रभावी तौर पर लागू किया जा रहा है। इससे पूर्व, शिक्षकों को स्कूलों की पुस्तकें प्राप्त करने के लिए जिले से बाहर डिपो में जाना पड़ता था, लेकिन इस वर्ष से यह जिम्मेवारी खण्ड अधिकारियों को सौंप दी गई है तथा वे इन पुस्तकों को समूह स्तर पर वितरित करेंगे ताकि समय व धन की बचत हो। पाठ्य पुस्तकों के सुलभ एकत्रण, विश्लेषण तथा मांग को पूरा करने के लिए वितरण के लिए एक डिजिटल व्यवस्था स्थापित की गई है।
डिपो अधिकारी, उप-निदेशक, डाईट प्रधानाचार्य, खण्ड प्राथमिक शिक्षा अधिकारी तथा बी.आर.सी. सहित सभी हितधारकों के प्रतिनिधियों के साथ पाठ्य पुस्तकों के वितरण तथा स्कलों से जुड़ी समस्याओं का पता लगाने और उनका निवारण करने के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। डिपो से लेकर खण्ड स्तर तक पाठ्य पुस्तकें प्राप्त करने सम्बन्धी जानकारी को हासिल करने के लिए ऑनलाईन-डैशबोर्ड सृजित किया गया है जिसका लिंक संबन्धित राज्य व जिला अधिकारियों की निगरानी में सहायतार्थ भेज दिया गया है। 
राज्य शिक्षा विभाग स्वाचालित, उपयुक्त समय पर पाठय पुस्तकों की निगरानी के लिए एक पोर्टल सृजित करने की भी योजना बना रहा है। इस पोर्टल के माध्यम से सभी हितधारकों को समय पर पुस्तकों की प्राप्ति/रसीद के बारे स्मरण कराने तथा डिजिटल रूप से इसकी पुष्टि करने के लिए स्वचालित एस.एम.एस. व ई.मेल सूचना भेजी जाएगी।
 

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