फीचर
28 अगस्त, 2016
कुक्कुट पालन बना स्वरोजगार का बेहतरीन विकल्प, प्रदेश सरकार प्रदान कर रही अनुदान, घर-आंगन खुले रोजगार के द्वार
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उभारने में पशु पालन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में पशुधन विकास कार्यक्रम के अंतर्गत पशु स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण, गोजातीय विकास, भेड़ प्रजनन तथा ऊन विकास, कुक्कुट विकास, पशु आहार व चारा विकास, पशु स्वास्थ्य सम्बन्धी शिक्षा तथा पशु गणना पर व्यापक ध्यान दिया जा रहा है। प्रदेश सरकार के प्रोत्साहन से कुक्कुट पालन के क्षेत्र में भी युवा आगे आ रहे हैं और घर-आंगन में इस व्यवसाय से आजीविका कमाने में सफल हुए हैं।
प्रदेश में बैकयार्ड पोल्ट्री योजना आरंभ की गयी है। इस योजना के अंतर्गत कुक्कुट इकाईयां स्थापित कर इस व्यवसाय से जुड़े परिवारों को अनुदान पर चूजे वितरित किए जा रहे हैं । योजना के अंतर्गत वर्ष 2015-16 में लगभग साढ़े तीन लाख चूजों के वितरण तथा 1050 कुक्कुट पालकों को प्रशिक्षण का लक्ष्य रखा गया । इस योजना के अंतर्गत 3036 परिवारों के लिए एक लाख 70 हजार चूजे नवम्बर, 2015 तक आबंटित किए गए । इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2013-14४ में 317 इकाईयां और वर्ष 2014-15 में 315 इकाईयां स्थापित की गयी।
मुर्गी पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए मंडी जिला के सुन्दरनगर तथा सिरमौर जिला के नाहन में हैचरी स्थापित की गई हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग इस व्यवसाय से जुड़कर अपनी आर्थिकी को और बेहतर कर सकें।
सुन्दरनगर में स्थापित की गई हैचरी का क्षेत्रफल 2503 वर्गमीटर है। इस हैचरी की मुर्गी पालन क्षमता 2250 है तथा वर्तमान में यहां पर 1900 मुर्गियां पाली जा रही हैं। यहां पर चैवरों नस्ल के चूजे तैयार किए जाते हैं। ये चूजे अनुदान आधार पर राज्य के 6 जिलों हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, चंबा तथा लाहौल-स्पिति के लिए भेजे जाते हैं। हैचरी से चूजे कुक्कुट पालन व्यवसाय से जुड़े परिवारों को बीस रूपये प्रति चूजे की दर से उपलब्ध करवाए जाते हैं।
चैवरो नस्ल की मुर्गी एक साल में लगभग 170 से 180 अण्डों का उत्पादन करती है और 8 सप्ताह की मुर्गी का वजन लगभग एक किलो 200 ग्राम से लेकर डेढ़ किलोग्राम तक हो जाता है। चेवरो नस्ल की मुर्गी 24 सप्ताह की उम्र में अण्डा उत्पादन आरंभ कर देती है।
अनुदान पर चूजे उपलब्ध करवाने के अतिरिक्त संबंधित परिवारों को उनके पालन के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है और इसके लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की गयी है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को इस व्यवसाय से जोड़ा जा सके। सुन्दरनगर हैचरी में 15 दिन का निःशुल्क मुर्गी पालन प्रशिक्षण भी दिया जाता है। प्रशिक्षण उपरांत प्रशिक्षणार्थी मुर्गी पालन का व्यवसाय कर सकता है, जिसके लिए उसे बैंक द्वारा कम ब्याज दर पर ऋण भी उपलब्ध करवाया जाता है। वर्ष 2015-16 में सुन्दरनगर स्थित हैचरी से 400 लोगों को मुर्गी पालन का प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा गया।
सहायक निदेशक, कुक्कट विकास केंद्र, सुन्दरनगर श्री संजय शर्मा ने बताया कि मुर्गी पालन व्यवसाय से लोगों को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हो रहे हैं, जिससे उन्हें आय का अतिरिक्त साधन भी उपलब्ध हुआ है। उन्होंने बताया कि मुर्गी पालन व्यवसाय में प्रशिक्षण लेने के उपरांत प्रशिक्षणार्थी को मुर्गी पालन का कार्य आरंभ करने के लिए विभाग द्वारा फीड, पानी के बर्तन तथा दवाईयों के लिए 20 हजार रूपये का अनुदान भी दिया जाता है।
जारीकर्ताः-
जिला लोक सम्पर्क अधिकारी,
मण्डी, जिला मण्डी हि.प्र.।