Flagship Scheme
   

11st June 2016

अणु में श्वेत क्रांति के पुरोधा बने कर्ण

          अणु में श्वेत क्रांति के पुरोधा बने कर्ण

         दूध उत्पादन से प्रतिमाह हो रही है एक लाख की आमदन

        अब अणु क्षेत्र में स्थापित हो गए हैं पांच डेयरी फार्म

  हमीरपुर,  01 जून  (                    )  दूध उत्पादन ने हमीरपुर के अणु गांव के कर्ण की तकदीर ही बदल दी है, स्नातक की उपाधि हासिल करने के बाद कर्ण को नौकरी पाने के लिए काफी मशक्कत भी करनी पड़ी लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। वर्ष 2013 में दूध गंगा योजना के साथ जुडऩे के बाद कर्ण की जिंदगी ही बदल गई और अब एक महीने में दूध उत्पादन से एक लाख की आमदनी हो रही है। नौकरी की तलाश में भटक रहे युवाओं के लिए कर्ण प्रेरणा के स्रोत बन गए हैं वहीं कर्ण की सफलता से प्रभावित होकर इसी गांव के अन्य लोगों ने भी दूध उत्पादन का काम आरंभ किया है और कर्ण की पंचायत में ही पांच डेयरी फार्म भी क्रियाशील हो गए हैं।

     अब अणु क्षेत्र में प्रतिदिन 40 से 45 हजार रूपये प्रतिदिन दूध का उत्पादन हो रहा है।  वर्तमान में पंचायत में पांच डेयरी फार्म क्रियाशील है जिनमें कर्ण डेयरी फार्म 120 लीटर, पम्पू डेयरी फार्म 60 लीटर दूध , मनोज डेयरी फार्म 40 से 50 लीटर , संजीव डेयरी फार्म 30 लीटर तथा परमिन्द्र डेयरी फार्म 20 -30 लीटर प्रतिदिन दूध का उत्पादन कर रहे हैं।

            कर्ण डेयरी फार्म के मालिक श्री कर्ण से डेयरी फार्म के व्यवसाय से जुडऩे के बारे में बताया  कि ग्रेजुएशन करने के उपरान्त सरकारी/अर्धसरकारी क्षेत्र में नौकरी की तलाश में भटक रहे थे, तो उसी दौरान पशु पालन विभाग द्वारा अणु पंचायत में शिविर लगाया गया था जिसमें विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रदेश सरकार द्वारा चलाई गई विभिन्न योजनाओं की जानकारियों दी जा रही थी जिसमें  दूध व्यवसाय को अपनाकर घर बैठे रोज़गार सृजन करने के बारे बताया गया । 

उन्होंने बताया कि  शिविर में प्राप्त जानकारी से प्राभावित होकर  पशु पालन विभाग के कार्यालय में जाकर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिये पशु चिकित्सक डॉ0 अजमेर डोगरा से सम्पर्क स्थापित किया और दूध गंगा योजना की जानकारी ली ।  डॉ डोगरा ने विस्तृत रूप से जानकारी दी और पशु व्यवसाय को रोज़गार के रूप में अपनाने के लिये प्रेरित किया । 

कर्ण बताते हैं कि 2013 में मैंने डेयरी फार्म को चलाने के लिये घर में चर्चा कि जिस पर परिवार के सदस्यों ने सहमति जताई । कर्ण ने बैंक से पांच लाख का ऋण लेकर डेयरी फार्म खोला जिस पर विभाग ने 1.25 लाख रूपये का उपदान दिया ।  वर्तमान में कर्ण के डेयरी फार्म में 14 गाएं हैं जिनसे प्रतिदिन 120 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। उन्होंने बताया कि उत्पादित दूध की आपूर्ति हमीरपुर शहर के अतिरिक्त एनआईटी कलौनी में मोटर साईकिल पर घर द्वार पर दूध की आपूर्ति की जा रही है, जिससे प्रतिमाह लगभग एक लाख रूपये की आमदन  हो रही है।

कर्ण ने बताया कि दूध व्यवसाय के साथ-साथ कैंचुआ-जैविक खाद भी तैयार कर रहे हैं जिसे एनआईटी कलौनी में रह रहे परिवार अपने किचन गार्डन में स्वस्थ सब्जी उत्पादन के लिये लेकर जाते हैं। 

            कर्ण ने पशुओं को गर्मी से बचाने के लिये शैड में पंखे स्थापित किए हैं और पशुशाला में साफ -सफाई की व्यवस्था तथा पशुओं के पेयजल की आपूर्ति करने के लिये पशुशाला के साथ 150 फुट की गहराई पर सवमर्सीबल पम्प लगाया गया है। कर्ण ने पशुओं को उचित मात्रा में हरा चारा उपलब्ध करवाने के लिये 20-25 कनाल भूमि में मक्का, चरी बरसीम, बाजरा आदि के अतिरिक्त फलदान पौधे भी लगाए हैं।  कर्ण पशु शैड और पशुओं की सफाई पर प्रयोग हुए  व्यर्थ पानी को पक्की नाली के माध्यम से सीधा खेतों में डाल दिया है जिसे चारे की उपज में  शीघ्र बढ़ोतरी होती है।  कर्ण ने बताया कि ग्रीष्म ऋतु में हरे चारे में कमी से निपटने के लिये कृषि योजना के तहत आजोला घास लगाई गई है।

            कर्ण ने बताया कि परिवार में माता-पिता के अतिरिक्त ग्रेजुएट पत्नी डेयरी फार्म में हाथ बंटाते हैं, और बेटा पब्लिक स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहा है।  उन्होंने बताया कि समस्त साधनों पर व्यय को निकाल कर प्रतिमाह 40 से 45 हजार रूपये शुद्ध आए अर्जित हो रही है।  कर्ण ने बताया कि  डेयरी फार्म का संचालन करने के लिये बैंक से लिया गया अधिकांश ऋण चुकता कर दिया है। उन्होंने बताया कि इस व्यवसाय से जुड़ कर मैंने अपना घर, गाडऱ्ी इत्यादि सुविधाएं जुटां ली हैं।

            डॉ अजमेर डोगरा ने बताया कि ग्रीष्म ऋतु में पशुओं को हरे चारे की आपूर्ति के लिये अजोला घास का उत्पादन करने के लिये प्रेरित किया जाता है । उन्होंने बताया कि अजोला घास लगाने के लिये बहुत कम खर्च होता है तथा इस घास से 15 से 20 प्रतिशत दूध उत्पादन में वृद्धि होती है इसमें 23 से 25 प्रतिशत प्रोटीन होती है तथा इस घास में मिनरल और विटामिन भी काफी मात्रा में पाएं जाते हैं जो कि पशुओं के स्वास्थ्य के लिये लाभदायक हैं।  डॉ डोगरा ने युवाओं से आह्वान किया है कि वह नौकरी की तलाश में इधर उधर भटकने की बजाए कर्ण की तरह पशु व्यवसाय से जुड़ कर आत्म निर्भर बनें ।

You Are Visitor No.हमारी वेबसाइट में कुल आगंतुकों 10456710

Nodal Officer: UC Kaundal, Dy. Director (Tech), +919816638550, uttamkaundal@gmail.com

Copyright ©Department of Information & Public Relations, Himachal Pradesh.
Best Viewed In Mozilla Firefox