मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने आज यहां हिमाचल प्रदेश कला, भाषा एवं संस्कृति अकादमी द्वारा आयोजित एक समारोह में साहित्यकार सुदर्शन वशिष्ट और निष्पादन कला के क्षेत्र में कत्थक में विशिष्ट योगदान के लिए इला पांडे को शिखर सम्मान-2016 से सम्मानित किया। पुरस्कार के रूप में प्रशस्ति पत्र के अलावा एक लाख रुपये की धनराशि प्रदान की गई। इला पांडे ने पुरस्कार राशि को मुख्यमंत्री राहत कोष में देने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि संस्कृति और परम्पराएं केवल आंकड़ों या स्मारक चिन्हों तक की सीमित नहीं हैं बल्कि वास्तव में ये सीधे तौर पर जन जीवन से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृति मानव सृजन का मानसिक चित्रण है। जो लोग समृद्ध संस्कृति को संरक्षित रखने में अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं, उनका सम्मान किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संस्कृति और परम्पराओं के संरक्षण और संवर्द्धन में कवियों, कलाकारों और लेखकों के योगदान को नजरंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि अपरोक्ष रूप से आने वाली पीढ़ियों को जागरुक बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि हमारी परम्पराएं और रीति-रिवाज जीवन का आधार हैं और संस्कृति को तथ्यों या आंकड़ों की नजर से नहीं बल्कि जीवन, इतिहास, प्रकृति और भौगोलिक परिस्थितियों की कहानी और व्याख्या के तौर पर देखना चाहिए।
श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि हम सभी को अपनी संस्कृति, भाषाओं और लोक कलाओं को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है और यह अकादमी के सम्मुख एक बड़ी जिम्मेवारी है।
उन्होंने कहा कि संगीत हमारी संस्कृति और जीवन का अभिन्न् अंग है जिसे व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसी उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने सभी स्कूलों और महाविद्यालयों में संगीत अध्यापक नियुक्त करने का निर्णय लिया है। सरकार यह सुनिश्चित बनाएगी कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में संगीत शिक्षा के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हों।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रो. एम.सी सक्सेना की पुस्तक आकाश बेल का विमोचन भी किया।
उन्होंने निष्पादन कला के क्षेत्र में ज्वाला प्रसाद शर्मा और दृश्य कला को प्रोत्साहन देने के लिए प्रो. हिमा चैटर्जी को निष्पादन कला सम्मान-2016 देने की घोषणा की।
भाषा, कला एवं संस्कृति अकादमी के उपाध्यक्ष प्रेम शर्मा ने कहा कि इतिहास हमें समाज के साथ-साथ संस्कृति के उद्भव को प्रतिबिंबित करता है। उन्होंने कहा कि इतिहासकार, कवि और लेखक समाज का वास्तविक आईना हैं जो इसका सही पक्ष उजागर करते हैं।
अकादमी की निदेशक शशि ठाकुर ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया। सचिव अशोक हंस ने अकादमी की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।