मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग, विद्युत तथा नगर निगम शिमला के अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि शिमला शहर की जल आपूर्ति की समस्या से निपटने के लिए गिरी जल आपूर्ति योजना को तुरंत प्रभाव से बहाल करने के निर्देश दिए, ताकि शहर तथा कस्बों के लोगों को प्रतिदिन जलापूर्ति उपलब्ध हो सकें। उन्होंने कहा कि रिसाव की मुरम्मत तथा पानी के टैंकों के ओवर फ्लो को रोकने में नाकाम होने वालों पर कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को 41 पंचायतों की लगभग 75 हजार आबादी को जल आपूर्ति के लिए अप्रैल मध्य तक शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में 105 करोड़ रुपये की लागत की घरोह-घण्डल जल आपूर्ति योजना के निर्माण कार्य को पूरा करने के निर्देश भी दिए।
बैठक में यह भी बताया गया कि नगर निगम शिमला की सीमाओं के भीतर कुल 44 एमएलडी पानी की आवश्यकता है तथा नगर निगम शिमला के बाहर कुल 4 एमएलडी पानी की आवश्यकता है। गिरी स्रोत की मुख्य पाइप लाईन की मुरम्मत के पश्चात 5 से 6 एमएलडी पानी की बढ़ोतरी होगी।
प्रधान सचिव सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य श्रीमती अनुराधा ठाकुर ने कहा कि गिरी जल आपूर्ति योजना की संपूर्ण राइजिंग को बदला जा रहा है और कार्य लगभग पूरा होने को हैं, जिससे वर्तमान आपूर्ति में 5 से 6 एमएलडी पानी की बढ़ोतरी होगी। अश्वनी खड्ड से पानी की आपूर्ति जनवरी, 2016 से बंद है, जिससे पानी की आपूर्ति में 9 से 10 एमएलडी पानी की कमी आ रही है।
हि.प्र. पर्यटन विकास निगम के उपाध्यक्ष श्री हरीश जनारथा ने कहा कि निश्चित समयावली पर पूरे शहर को एक समान पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित बनाई जाएगी।
सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्रीमती विद्या स्टोक्स, शिमला नगर निगम आयुक्त श्री पंकज राय, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ श्री ए.के. बहरी, हि.प्र. राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक श्री पी.सी. नेगी भी बैठक में उपस्थित थे।
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